धर्म बन गया धंधा यारों, घुसे यहां व्यापारी।
पूजा हो या कथा-वाचन, चलती है दुकानदारी।।
चलती है दुकानदारी, लगती सबकी बोली।
खुली लूट यहां पर देखो, लुट रही जनता भोली।।
कहे यायावर साफ, कब तक पनपाओगे।
पाखण्डियों को कब वापस घर भिजवाओगे।।
-जगदीश यायावर, मो. 9571181221
email- yayawer@gmail.com
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