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मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

है खुद की दुश्मन नारी

नारी बनकर रह गई, विज्ञापन की चीज।
आजादी के नाम पर, कैसे बोए बीज।।
कैसे बोए बीज, नारी पथभ्रष्ट हो गई।
जिसको पूजा जाता था, उपभोग बन गई।।
कहे यायावर साफ, ये किसकी जिम्मेदारी।
क्यों हुई वो नंगी, है खुद की दुश्मन नारी।।
-जगदीश यायावर, मो. 9571181221

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