यह ब्लॉग खोजें
मंगलवार, 12 अप्रैल 2011
है खुद की दुश्मन नारी
नारी बनकर रह गई, विज्ञापन की चीज।
आजादी के नाम पर, कैसे बोए बीज।।
कैसे बोए बीज, नारी पथभ्रष्ट हो गई।
जिसको पूजा जाता था, उपभोग बन गई।।
कहे यायावर साफ, ये किसकी जिम्मेदारी।
क्यों हुई वो नंगी, है खुद की दुश्मन नारी।।
-जगदीश यायावर, मो. 9571181221
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें