मुक्त हो गया मिश्र, मुबारक को लगा कर धक्का।
कई देशों को मुक्ति का, संदेश दे दिया पक्का।।
संदेश दे दिया पक्का, अब तो जनता जागे।
बिना तोप ही भ्रष्टाचार, इस देश से भागे।।
कहे यायावर साफ, कर दो शुरू क्रांति।
उठो सारे साथ, मिटा दो सता की भ्रांति।।
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मंगलवार, 12 अप्रैल 2011
धर्म बन गया धंधा
धर्म बन गया धंधा यारों, घुसे यहां व्यापारी।
पूजा हो या कथा-वाचन, चलती है दुकानदारी।।
चलती है दुकानदारी, लगती सबकी बोली।
खुली लूट यहां पर देखो, लुट रही जनता भोली।।
कहे यायावर साफ, कब तक पनपाओगे।
पाखण्डियों को कब वापस घर भिजवाओगे।।
-जगदीश यायावर, मो. 9571181221
email- yayawer@gmail.com
पूजा हो या कथा-वाचन, चलती है दुकानदारी।।
चलती है दुकानदारी, लगती सबकी बोली।
खुली लूट यहां पर देखो, लुट रही जनता भोली।।
कहे यायावर साफ, कब तक पनपाओगे।
पाखण्डियों को कब वापस घर भिजवाओगे।।
-जगदीश यायावर, मो. 9571181221
email- yayawer@gmail.com
धरती पर प्रलय मंडराया
कहर बरपा जापान पर, भूकम्प सुनामी संग।
परमाणु की त्रासदी, सब बरबादी के ढंग।।
सब बरबादी के ढंग, धरती पर मंडराया खतरा।
विकिरण से थर्राया, जग का कतरा-कतरा।।
कहे यायावर साफ, सब करनी का फल है।
कुदरत की कुचमाद से काम्पे ये भूतल है।।
परमाणु की त्रासदी, सब बरबादी के ढंग।।
सब बरबादी के ढंग, धरती पर मंडराया खतरा।
विकिरण से थर्राया, जग का कतरा-कतरा।।
कहे यायावर साफ, सब करनी का फल है।
कुदरत की कुचमाद से काम्पे ये भूतल है।।
है खुद की दुश्मन नारी
नारी बनकर रह गई, विज्ञापन की चीज।
आजादी के नाम पर, कैसे बोए बीज।।
कैसे बोए बीज, नारी पथभ्रष्ट हो गई।
जिसको पूजा जाता था, उपभोग बन गई।।
कहे यायावर साफ, ये किसकी जिम्मेदारी।
क्यों हुई वो नंगी, है खुद की दुश्मन नारी।।
-जगदीश यायावर, मो. 9571181221
आजादी के नाम पर, कैसे बोए बीज।।
कैसे बोए बीज, नारी पथभ्रष्ट हो गई।
जिसको पूजा जाता था, उपभोग बन गई।।
कहे यायावर साफ, ये किसकी जिम्मेदारी।
क्यों हुई वो नंगी, है खुद की दुश्मन नारी।।
-जगदीश यायावर, मो. 9571181221
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